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Thursday, January 12, 2012

एक पत्थर का टीला

एक पत्थर का टीला,
सड़क पर पड़ा हुआ आवारा अकेला !
न कोई सिकवा ,
और न किसी से कोई गिला !
लोग सड़क से गुजरते है, वो उन सभी को देखता है !
उनमें से कुछ लोग उसे भी देख लेते है !
कुछ ठोकर मर कर आगे बड़ जाते है !
वो वही का वही...
एक पत्थर का टीला, आवारा अकेला !

कोई आस, न कोई पास !
न उसको किसी का इंतजार,
उसका किसी को इंतजार !
न किसी से कोई उम्मीद,
और न बन सका किसी का सहारा !
बस एक वजूद जो इश्वर से मिला,
एक पत्थर का टीला, आवारा अकेला !

वो मिल जायेगा धुल में,
कुछ महीनो या सालो के बाद !
लोगो को शायद ही याद आये इसी सड़क पर था,
वो पत्थर का टीला, आवारा अकेला !

पीढी दर पीढी लोग उसे भूल जायेंगे ,
वो gumnaami में खो जायेगा !
phir कोई yahi kahani dohrayega,
ek naya पत्थर का टीला !
वो भी सड़क पर पड़ा rahega
आवारा अकेला !
एक पत्थर का टीला, आवारा अकेला !
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